जो घटना मोहम्मद अब्दुल समद सैफी के लिए आपदा रही, वही घटना हुकूमत के लिए अवसर बन गयी। हुकूमत का आरोप है कि एक पक्ष और है जो सैफी के साथ आपदा को ‘राजनीतिक अवसर’ में बदलने की कोशिश कर रहा था और अब बेनकाब हो चुका है। वास्तव में मोहम्मद अब्दुल समद सैफी के साथ हुई बर्बरता मूल घटना के केंद्र में रह ही नहीं गयी है।
बुजुर्ग पिटाई केस: सिर्फ़ सरकार का विरोध करने वालों पर कार्रवाई क्यों?
- विचार
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- 18 Jun, 2021

मोहम्मद अब्दुल समद सैफी की पिटाई के वक्त उनसे सियाराम के नारे लगवाए गये- यह बात पुलिस ने झूठ करार दी। अब इसी ‘झूठ’ को प्रसारित करने वाले ‘गुनहगार’ खोज निकाल गए।
केंद्र में वे लोग हैं जो हुकूमत विरोधी राय रखते हैं या जिनके साथ हुकूमत की बनती नहीं है। इनमें स्वतंत्र आवाज़ भी है, पत्रकार भी हैं, वेबसाइट्स भी हैं और राजनीतिक लोग भी।
मोहम्मद अब्दुल समद सैफी की पिटाई के वक्त उनसे सियाराम के नारे लगवाए गये- यह बात पुलिस ने झूठ करार दी। अब इसी ‘झूठ’ को प्रसारित करने वाले ‘गुनहगार’ खोज निकाल गए। इनमें पत्रकार, वेबसाइट तो हैं ही, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेता भी चिन्हित हुए। हुकूमत की ओर से कहा गया कि माहौल बिगाड़ने वाले बख्शे नहीं जाएंगे।