तालाबंदी में सरकार ने ढील दे दी है और अधर में अटके हुए मज़दूरों और छात्रों की घर-वापसी के लिए रेलें चला दी हैं, इससे लोगों को काफ़ी राहत मिलेगी लेकिन इसके साथ जुड़ी दो समस्याओं पर सरकार को अभी से रणनीति बनानी होगी। एक तो जो मज़दूर अपने गाँव पहुँचे हैं, उनमें से बहुत-से लौटना बिल्कुल भी नहीं चाहते। आज ऐसे दर्जनों मज़दूरों के बारे में अख़बार रंगे हुए हैं। उनका कहना है कि 5-6 हजार रुपये महीने के लिए अब हम अपने परिवार से बिछुड़कर नहीं रह सकते। गाँव में रहेंगे, चाहे कम कमाएँगे लेकिन मस्त रहेंगे।