देश की राजधानी दिल्ली की सीमा पर किसानों के नाम पर चल रहे आंदोलन का अब किसानों से कोई ताल्लुक नहीं रह गया है। क्योंकि कोई भी आंदोलन किसी समस्या का समाधान खोजने के लिए होता है। समाधान का रास्ता संवाद से निकलता है। आंदोलनकारी न तो समाधान चाहते हैं और न ही संवाद। यह एक प्रयोग हो रहा है जो सफल हो गया तो भारत में जनतंत्र को कमज़ोर करने का साधन बनेगा।