कोई पच्चीस करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में चुनावों को लेकर मचे घमासान के बीच सिर्फ़ चार करोड़ की जनसंख्या के सुदूर दक्षिणी राज्य केरल की चर्चा करना थोड़ा अप्रासंगिक लग सकता है फिर भी ऐसा करना ज़रूरी है। कहा जा सकता है कि केरल भी अब उत्तर प्रदेश में तब्दील हो रहा है। धर्म, बलात्कार और ‘अन्याय’ के बीच चलने वाला अश्लील गठबंधन अपना चोला उतारकर वहाँ भी वस्त्रहीन हो रहा है यानी केरल में भी उन्नाव और हाथरस हो रहा है।
केरल में भी उन्नाव और हाथरस हो रहा है?
- विचार
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- 21 Jan, 2022

चर्चों और उनसे जुड़े लोगों के ख़िलाफ़ धर्म परिवर्तन कराने के आरोपों के नाम पर हमले करने वाले कट्टर हिंदुत्व के समर्थक राजनीतिक दल और धार्मिक संगठन पादरियों के यौनाचार प्रकरणों पर मौन क्यों साधे रहते हैं?
उनतालीस नहीं मुकरनेवाले गवाहों के बयान, दो हज़ार पृष्ठों के आरोप-पत्र और निर्दोष एसआईटी जाँच को ख़ारिज करते हुए कोट्टायम (केरल) की एक अदालत ने एक नन के साथ तीन सालों (2014 से 2016) में तेरह बार दुष्कर्म करने के आरोपी 57-वर्षीय कैथोलिक बिशप फ़्रेंको मुलक्कल को संक्रांति (14 जनवरी) के दिन अपने एक पंक्ति के फ़ैसले में सभी आरोपों से बरी कर दिया। फ़ैसला सुनाए जाने के समय पीड़िता नन की ओर से लड़ाई लड़ने वाली साथी ननें भी अदालत में उपस्थित थीं। कहने की ज़रूरत नहीं कि घटनाक्रम के सदमे से अवाक अदालत में उस समय मौजूद सभी एक-दूसरे से पूछ रहे थे कि जो फ़ैसला सुनाया गया क्या वह वाक़ई एक सचाई है?