मैं नहीं कहती कि लेखन विनम्रता भरा ही हो। अपनी बात पूरे ज़ोर के साथ कही जा सकती है। ध्यान यह भी रहे कि किसी का अपमान तो नहीं हो रहा। किसी को आहत करने की मंशा से तो नहीं बोला या लिखा जा रहा। व्यक्तिगत विद्वेष की बू तो नहीं आ रही। वैसे जो कुछ मैं यहाँ कह रही हूँ, सब खामख्याली है।