जनता की बेहद मांग पर मोदी सरकार ने दूरदर्शन के सुनहरे मनोरंजन वाले दौर के धार्मिक धारावाहिकों रामायण और महाभारत का प्रसारण फिर से शुरू कर दिया है। ऐसा इसलिये किया गया है क्योंकि लॉकडाउन के दौरान लोग घरों में ही रहें, शहरी मध्य वर्ग बोर न हो और स्वस्थ मनोरंजन का आनंद ले सके।

ऐसे समय में जब देश कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण बेहाल है, दिहाड़ी मजदूरों की कमर टूट चुकी है, मंत्रियों का रामायण देखते हुये फ़ोटो ट्वीट करना क्या सही है? सवाल यह है कि जनता की मांग पर रामायण और महाभारत धारावाहिक का प्रसारण तुरंत शुरू हो जाता है, लेकिन रोजी-रोटी छिनने के बाद महानगरों को छोड़कर जा रहे हज़ारों दिहाड़ी मजदूरों की तरफ ध्यान देने में सरकारों को समय क्यों लगता है?
रामानंद सागर का धारावाहिक रामायण 1987 में राजीव गाँधी की कांग्रेस सरकार के राज में शुरू हुआ था। तब इस धारावाहिक की लोकप्रियता का यह आलम था कि इसके प्रसारण के समय सड़कें सूनी हो जाती थीं। कर्फ्यू जैसा नज़ारा होता था। लोग इतने भक्ति भाव से रामायण देखते थे कि टीवी के आगे बाकायदा आरती करने और घंटी, शंख वगैरह बजने के किस्से भी सुनने में आते थे।