सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने 9 नवंबर 2019 को एम. सिद्दीक बनाम महंत सुरेश दास मामले में, जिसे, राम जन्मभूमि मंदिर केस कहा जाता है, फ़ैसला सुनाया था। इस बेंच में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर थे।
धार्मिक स्थल अधिनियम : ख़त्म हो चुके मुद्दे को उठाना बेकार है
- विचार
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- 30 Mar, 2021

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने 'द हिन्दू' में यह लेख लिखा है। प्रस्तुत है उसका अनुवाद।
इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है कि इस फ़ैसले को किसने लिखा था, इसलिए यह मान लिया जाना चाहिए कि सबने इसे लिखा था। इस निर्णय में धार्मिक स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991, को बग़ैर किसी लाग-लपेट के स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है।
इस क़ानून के प्रस्तावना में कहा गया है, "यह क़ानून 15 अगस्त, 1947 को किसी पूजा स्थल के धार्मिक स्वरूप व उसके रख-रखाव में किसी तरह के बदलाव को निषिद्ध करता है।" इसके सेक्शन 5 में अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि -बाबरी मसजिद को इससे छूट दी गई है।