भारत जब आज़ाद हुआ तो देश में कम से कम 560 रियासतें थीं। भारत की अंतरिम सरकार ने यह तय किया कि रियासतों के साथ बेहतर संबंधों के लिए एक विभाग बनाया जाए। सरदार वल्लभ भाई पटेल स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान देसी रियासतों के मामलों को देखते थे और राजाओं के साथ उनके बेहतर संबंध थे, इसलिए उन्हें इस विभाग की जिम्मेदारी दे दी गई। 

जिम्मेदारी संभालते ही सरदार ने 5 जुलाई 1947 को रियासतों से संबंधित नीति के बारे में कहा, “हमारे देश के कुछ हिस्सों ने हमसे अलग होने का और अपनी निजी सरकार बनाने का जो फ़ैसला किया है, उससे हम में से बहुतों को बड़ी जबरदस्त निराशा और दुख हुआ है। लेकिन हमारा विश्वास है कि इस विद्वमान अलगाव के बावजूद हम लोगों के बीच जो सांस्कृतिक एकता का मूल भाव है, वह हमारे पारस्परिक हितों में बना रहेगा।”