भारत में जब भी सांप्रदायिकता की बात चलती है तो उसका आशय हिन्दू-मुस्लिम सम्बंधों में आपसी द्वेष एवं घृणा से ही लिया जाता है। यदि सांप्रदायिक समस्या के समाधान की भी बात की जाती है तो भी हिन्दू मुस्लिम विरोध को समाप्त करने का ही आशय होता है। असल में भारत में सम्प्रदाय का तात्पर्य हिन्दू, मुस्लिम धर्म विभाजन से ही है जो 14-15 अगस्त 1947 के भारत-पाक विभाजन से प्रत्यक्षत: जुड़ा हुआ है।