आटे-दाल का भाव सिर्फ़ इस देश तो क्या, दुनिया के खासे बड़े हिस्से में भूखे पेटों की आम समस्या रहा है। अकारण नहीं कि बड़े-बुजुर्ग दुनिया मुट्ठी में कर लेने की आतुरता में ‘हाथ से बेहाथ होती’ नई पीढ़ी को सुनाकर यह कहने से नहीं चूकते कि ‘आटे-दाल का भाव पता चलेगा, तब समझ में आयेगा’।
क्या सिर्फ टमाटर रुला रहा? ‘सब्र की इक हद भी होती है’
- विचार
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- 30 Aug, 2023


टमाटर इतना महंगा क्यों है? क्या सरकार इस पर नियंत्रण के प्रयास कर रही है और वह कामयाब नहीं हो पा रही है? क्या टमाटर ही महंगे हैं या फिर बाक़ी सब्जियाँ और दूसरी चीजें भी?
लेकिन इधर जिस तरह न सिर्फ़ टमाटर, आलू, अदरख और मिर्च के भाव आसमान पर चले गये हैं, बल्कि दूसरी कई मौसमी व गैरमौसमी सब्जियाँ भी उनसे होड़ पर आमादा हैं, उससे लगता है, आटे-दाल का भाव पता चलने का मुहावरा नये भारत में जल्दी ही टमाटर, आलू, अदरख या मिर्च के भाव पता चलने के मुहावरे में बदल जायेगा। गौर कीजिए, इनके भाव ऐसे वक्त में आसमान पर गये हैं, जब सरकार खुदरा महंगाई दर घटने और थोक महंगाई दर के घटते-घटते आठ साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच जाने के ‘जश्न’ में मगन है।


























