यूक्रेन को लेकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं और यूपी के चुनावों के बीच कॉमन क्या तलाश किया जा सकता है? जो समस्या यूक्रेन के सिलसिले में पुतिन की है क्या वही यूपी के सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी नहीं मानी जा सकती? इतिहास और भूगोल का कुछ ऐसा संयोग बना है कि यूक्रेन और यूपी एक ही समय पर घटित हो रहे हैं, हालाँकि दोनों स्थानों के बीच पाँच हज़ार किलो मीटर से अधिक की दूरी है। दुनिया के दो महानायकों की महत्वाकांक्षाएँ एक जैसी हो जाएँ तो ज़मीनी दूरियाँ स्वत: समाप्त हो जाती हैं।
क्या पुतिन और मोदी के सपने एक जैसे हैं?
- विचार
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- श्रवण गर्ग
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- 27 Feb, 2022


श्रवण गर्ग
रूस के आक्रमण के पहले से ही लाखों लोग यूक्रेन से पलायन करने लगे थे। वह पलायन अब राजधानी कीव से यूक्रेन के पश्चिमी शहरों और पड़ोसी मुल्क पोलैंड आदि की तरफ़ तेज हो गया है। उत्तर प्रदेश में योगी जीत गए तो दस मार्च के बाद चलने वाले बुलडोज़रों के भय से होने वाले पलायन की केवल कल्पना ही की जा सकती है।
यूपी के चुनावी ‘युद्ध’ को यूक्रेन के संदर्भ में पुतिन के चश्मे से देखा जाए तो कुछ नया ज्ञान मिल सकता है जो इस सतही निष्कर्ष से भिन्न होगा कि यूपी की मौजूदा लड़ाई दो दलों के बीच एक राज्य का चुनाव जीतने भर तक ही सीमित है। यूपी के राजनीतिक युद्ध को लेकर उसी तरह की आशंकाएँ व्यक्त की जा रही हैं जो यूक्रेन के संदर्भ में पुतिन की महत्वाकांक्षाओं में नज़र आती हैं।
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