आज इंदिरा गांधी की जयंती है। उन्हें इसलिए याद नहीं किया जाना चाहिए कि वे जवाहर लाल नेहरू की बेटी थीं बल्कि इसलिए स्मरण रखना चाहिए कि उन्होंने एक उनींदे, अलसाए से देश को जगाया और उसमें चेतना तथा स्वाभिमान की प्राणवायु का संचार किया। बेशक आपातकाल उनका एक विवादास्पद फ़ैसला माना जा सकता है, मगर इससे उनकी उपलब्धियों की चमक फीकी नहीं पड़ती।
क्या एक आपातकाल मात्र से इंदिरा गांधी का आकलन अन्याय नहीं है?
- विचार
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- 19 Nov, 2022


क्या हिंदुस्तान भूल सकता है कि जब इस महिला ने प्रधानमंत्री की कुर्सी सँभाली थी तो देश के पास भरपेट खाने के लिए अनाज का उत्पादन नहीं होता था। दूध का उत्पादन नाकाफ़ी था। इस महिला ने हरित और श्वेत क्रांति के ज़रिए देश को आत्म निर्भर बनाया। बैंकों का राष्ट्रीयकरण करके मुल्क़ को नई आर्थिक दिशा दी।
जो भी सक्रिय राजनेता होता है उससे कुछ गलतियां भी होती हैं। नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक, आप चाहें तो सभी के कुछ निर्णयों की सूची बना सकते हैं, जो इस देश की सेहत के लिए ठीक नहीं रहे। हमारे परिवारों में पिता, दादा, परदादा, दादी, नाना, नानी के सभी निर्णयों से सभी सदस्य सहमत नहीं होते लेकिन सिर्फ़ इस आधार पर आप उनकी आलोचना नहीं करते।



























