सकल हिंदू समाज की इन रैलियों को मुख्य एजेंडा मुसलमानों के खिलाफ नफरत का प्रचार प्रसार करना होता है।12 मार्च को मुंबई के मीरा रोड पर हुई एक रैली, इस्लामिक कट्टरता, लव जिहाद और लैंड जिहाद के खिलाफ भाषण दिए गए। यहीं पर कुछ वक्ताओं ने मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार भी का आह्वान किया।
कर्नाटक में हेट स्पीच देने वालों और दंगाइयों पर से केस वापस लिए जा रहे हैं। इनमें सभी आरोपी हिन्दू संगठनों से जुड़े हुए हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने तमाम मामलों की पड़ताल की है।
सामाजिक कार्यकर्ता तुषार गांधी की तरफ से पेश हुए वकील शादान फरासत ने कहा कि पुलिस ने इस तरह के नफरत फैलाने वाले भाषणों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने नफरती बयानों पर एक बार फिर अपना कड़ा रुख दिखाया है और कहा है कि भारत एक सेकुलर देश है। यहां हेट स्पीच पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। अदालत की यह सख्त टिप्पणी यूपी से जुड़े एक मामले में आई है।
दर्ज कराई गई शिकायत में कथित तौर पर दो समुदायों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में योग गुरु रामदेव के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है।
सुप्रीम कोर्ट को आख़िर क्यों कहना पड़ा कि न्यूज़ एंकर नफ़रत फैला रहे हैं? अदालत ने एनबीएसए से क्यों कहा कि आप समाज को बांट रहे हैं, हेट स्पीच देने वाले कितने एंकरों को ऑफ एयर किया?
डेढ़ साल के बाद भी धर्म संसद हेट स्पीच मामले में कोई कार्रवाई नहीं ? सुप्रीम कोर्ट की भी दिल्ली पुलिस को परवाह नहीं ? क्यों ? कौन बचा रहा है ? क्यों बचाया जा रहा है? आशुतोष के साथ चर्चा में विनय तिवारी, यशोवर्धन आजाद, फ़िरदौस मिर्ज़ा, राकेश सिन्हा और प्रो अपूर्वानंद
बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कर्नाटक में उत्तेजक भाषण देते हुए कहा कि हिन्दू अपने घरों में सब्जी काटने वाला चाकू तेज करवा करवा कर रखें। कर्नाटक में चार महीने बाद चुनाव हैं। वहां का माहौल रोजाना बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। प्रज्ञा का बयान भी उसी तरफ संकेत देता है। क्या कहा प्रज्ञा ने, पढ़िए पूरी रिपोर्ट और देखिए वीडियोः
सपा नेता आजम ख़ान पर ताज़ा कार्रवाई क्यों? जब नफ़रती भाषण के मामले में उनको जेल हुई तो सोशल मीडिया पर ऐसे ही दूसरे नफ़रती भाषणों के मामले में कार्रवाई पर सवाल उठने लगे। जानिए क्या कार्रवाई हुई है।
एक तरफ खुशी का त्योहार दीपावली तो दूसरी तरफ एक ही उत्सव के तमाम अंतर्विरोध। आखिर हिन्दू समाज इस पर बात क्यों नहीं करता। हिन्दू समाज अपने समय के सबसे महत्वपूर्ण सवाल को नजरन्दाज कर रहा है। पत्रकार, लेखक, स्तंभकार अपूर्वानंद हिन्दू समाज से उन्हीं सवालों को पूछ रहे हैंः
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हेट स्पीच पर देश के नेताओं और राजनीतिक दलों को तमाम नसीहतें दी हैं। इससे पहले यूएन महासचिव गुटारेस भारत में आकर इसी मुद्दे पर नसीहत देकर गए थे। अंधे राष्ट्रवाद के दौर में क्या ऐसी नसीहतें देने वालों को भारत विरोधी साजिशकर्ता मान लिया जाए, इस लेख में यही सवाल तनवीर जाफरी पूछ रहे हैंः
क्या अब नफ़रती भाषण और बयानबाजी करने वालों की खैर नहीं होगी? सुप्रीम कोर्ट को राज्यों को आख़िर यह क्यों चेताना पड़ा कि नफ़रती भाषणों पर कार्रवाई करें नहीं तो अवमानना कार्रवाई होगी?