प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब में चुनावी रैली में शामिल होने जाने के दौरान उनके काफिले को फ्लाईओवर पर 15-20 मिनट रुकना पड़ा। यह उनकी सुरक्षा में चूक तो है लेकिन क्या जान पर ख़तरा भी था?
पंजाब में बेअदबी के मामले और भीड़ हिंसा को लेकर जिस तरह के बयान आ रहे हैं और उस पर जिस तरह की चुप्पी है, क्या वे अच्छे संकते हैं? सजा अदालतें तय करेंगी या भीड़?
कंगना रनौत ने जब एक कार्यक्रम में कहा कि आज़ादी 1947 में नहीं बल्कि 2014 में मिली है तो तालियाँ बजाने वाले लोग कौन थे? आख़िर किसी ने भी खड़े होकर विरोध क्यों नहीं जताया?
हाल में 13 राज्यों में 29 विधानसभा सीटों और 3 लोकसभा सीटों के उपचुनाव के नतीजों ने बीजेपी को आख़िर क्यों हिला कर रख दिया है? जानिए, वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग क्या लिखते हैं।
पिछली दिवाली पर देश भर में हताशा का माहौल था, इस बार हालात थोड़े अलग हैं। लेकिन लोगों में हताशा देखी जा सकती है और यह सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे हालात को जल्द से जल्द बेहतर करें।
गांधीवादी एस एन सुब्बाराव को कैसे याद किया जाएगा? आंदोलनों में उनकी भागीदारी कैसी थी? जानिए, उनको क़रीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग कैसे याद करते हैं।
क्या भारत को आज महात्मा गांधी के विचारों की ज़रूरत नहीं है? क्या मौजूदा सरकार और सत्तारूढ़ दल जानबूझ कर गांधी के विचारों पर हमले कर रही है? बता रहे हैं पत्रकार श्रवण गर्ग।