अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद अब आधिकारिक तौर पर सत्ता में तालिबान ही है। चीन, रूस जैसे देशों के अलावा पश्चिमी देश भी तालिबान को कट्टर इसलामिक पद्धति मानकर आगे बढ़ रहे हैं। भारत को क्या रुख अपनाना चाहिए?
2001 में अफ़ग़ानिस्तान की सरज़मीं पर पांव रखने वाले अमेरिका ने सोमवार की रात को इस मुल्क़ को पूरी तरह छोड़ दिया। इसके बाद तालिबानियों ने जमकर फ़ायरिंग की और जश्न मनाया।
अमेरिका भाग गया। बेलगाम तालिबान। कैसे चलेगा अफगानिस्तान? अब तो भारत ने भी तालिबान से बात कर ली। क्या है आगे का रास्ता? आलोक अड्डा में वरिष्ठ पाकिस्तानी पत्रकार हारून रशीद, बीबीसी हिंदी के पूर्व संपादक शिवकांत, वरिष्ठ पत्रकार हिसाम सिद्दीकी, आशुतोष और हिमांशु बाजपेई
अमेरिका ने तय समय से पहले ही अफगानिस्तान छोड़ दिया .आज काबुल में तालिबान ने जश्न मनाया .सुरक्षा परिषद भी तालिबान पर नर्म पड़ा है .अब आगे क्या होगा ?आज की जनादेश चर्चा शाम सात बजे
क़तर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने मंगलवार को तालिबान के प्रतिनिधि शेर मुहम्मद अब्बास स्तेनकज़ई से मुलाक़ात की और कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की ज़मीन का इस्तेमाल भारत के ख़िलाफ़ नहीं होना चाहिए।
अमेरिकी सेना की अफ़ग़ानिस्तान से वापसी से पहले अमेरिका द्वारा इसलामिक स्टेट खुरासान को निशाना बनाकर रविवार को किए गए ड्रोन हमले में आम अफ़ग़ान नागरिकों के मारे जाने की ख़बर है। दावा किया गया है कि एक परिवार के 10 लोग मारे गए हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान से उसके आख़िरी सैनिक भी लौट गए हैं और उसका 20 साल पहले उस देश में शुरू हुआ अभियान अब ख़त्म हो गया है।
Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। तालिबान : भारत के साथ पहले जैसे ही रिश्ते रखना चाहते हैं । तालिबान: तालिबान सुप्रीमो हिब्तुल्लाह अफ़ग़ानिस्तान में ही हैं
कतर में तालिबान नेतृत्व के एक सदस्य ने कहा है कि वह भारत अफ़ग़ानिस्तान संबंध बरकरार रखना चाहता है। उसने कहा कि भारत 'इस उपमहाद्वीप के लिए बेहद महत्वपूर्ण' है।
भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक बयान में 'तालिबान' शब्द हटा दिया है। इससे संयुक्त राष्ट्र और भारत के रवैए में बदलाव का संकेत मिल रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ही आशंका जताई है कि काबुल एयरपोर्ट पर और भी धमाकों की आशंका है। आतंकवादी हमलों और इसकी आशंकाओं ने अफ़ग़ानिस्तान से लोगों को निकालने की प्रक्रिया में अड़चनें पैदा की हैं।
तालिबान भारत के लिये कितना बड़ा ख़तरा ! काबुल ब्लास्ट क्या बढ़ायेगा कश्मीर में आतंकवाद ? क्या अफ़ग़ानिस्तान बनेगा आतंक का नया अड्डा ? क्या मोदी सरकार तालिबान को मान्यता दे ? आशुतोष ने बात की पूर्व विदेश सचिव और नेशनल सिक्योरिटी एडवाइज़री बोर्ड के पूर्व चेयरमैन श्याम शरण से ।