यूपी में शहरों के नाम बदलने का मामला फिर से चर्चा में है। पिछले चुनावों के वक़्त एक के बाद एक नाम बदले गए थे। अब दिल्ली से सटे गाज़ियाबाद का नाम बदलने की योजना क्यों?
अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले यूपी सरकार पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर अभियान चलाएगी। जानिए, आख़िर कैसे गाँव-गाँव पहुँचने की योजना बनाई गई है।
22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा या अभिषेक समारोह में देश के प्रत्येक जिले और देश भर के अधिकांश प्रखंडों से 150 से अधिक जाति- समुदायों के प्रतिनिधि अयोध्या में शामिल होंगे।
यूपी पुलिस ने लखनऊ से दो युवकों ओम प्रकाश मिश्रा और ताहर सिंह को गिरफ्तार किया है। इनके ऊपर आरोप है कि ये लोग मुस्लिम नाम से ईमेल भेजकर राम मंदिर और योगी आदित्यनाथ को बम से उड़ाने की धमकी दे रहे थे। इनके और भी साथी इस साजिश रचने में शामिल हो सकते हैं, पुलिस इसकी जांच कर रही है।
अयोध्या में 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों राम मंदिर में रामलला की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा होगी। इस अवसर पर भाजपा और आरएसएस से जुड़े संगठनों की ओर से बड़े पैमाने पर कई आयोजन होने हैं।
इंडिया गठबंधन में उठापटक और भाजपा की चुनावी तैयारी के बीच बसपा प्रमुख मायावती भी अपने पत्ते धीरे-धीरे खोल रही हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पूरी तरह से यूपी और उत्तराखंड पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है। मायावती का दौरा निश्चित रूप से यूपी की चुनावी रणनीति को बदल देगा।
इंडिया गठबंधन में मतभेद और मनभेद का सिलसिला जारी है। अब खबरें आ रही हैं कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव बसपा को लेकर काफी चौकन्ने हैं। वे इंडिया गठबंधन में बसपा की एंट्री रोकने को लेकर किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं, जिसे इंडिया छोड़ने की धमकी भी है। जानिए नया राजनीतिक घटनाक्रमः
लोकसभा चुनाव से पहले शनिवार 23 दिसंबर को कांग्रेस पार्टी ने विभिन्न राज्यों के प्रभारियों को बदल दिया है। कांग्रेस संगठन में हुए इस भारी फेरबदल के बीच जो बदलाव चर्चा में है वह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश के प्रभारी पद से हटाना है।
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर पूरे राज्य भर के राम मंदिरों, हनुमान मंदिरों और वाल्मीकि मंदिरों के लिए योगी सरकार ने निर्देश जारी किए हैं। जानिए, उनको क्या निर्देश दिया गया।
ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में आर्कोलॉजिकल सर्वे ऑफ इडिया या एएसआई ने वाराणसी के जिला जज को सील बंद रिपोर्ट सौंप दी है। सूत्रों के मुताबिक एएसआई के अपर निदेशक ने जिला जज को जो रिपोर्ट सौंपी है वह एक हजार पेज से अधिक की है।
कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न का एक मामला और न्याय की गुहार झकझोरने वाला है। महिला जज को आख़िर सीजेआई को खुला खत लिखकर क्यों कहना पड़ा कि 'चलती-फिरती लाश हूँ, मरने की इजाजत दें'?