हरियाणा व केंद्र की सरकार इस ग़लतफ़हमी में थीं कि वे किसानों को पुलिस बल के ज़ोर पर दिल्ली जाने से रोक लेंगी। परन्तु दो ही दिनों में किसानों ने अपनी ताक़त व किसान एकता का एहसास करा दिया।
'शार्ली एब्दो' में प्रकाशित कार्टून दिखाने पर शिक्षक सैमुअल पैटी की हत्या कर दी गई। लेकिन क्या इसलाम के लिए कार्टून या फिर उसकी आलोचना करने वाले व इसके पूर्वाग्रही विरोधी घातक हैं?
शराब की ही तरह गांजा, भांग, अफ़ीम, चरस जैसे नशे की सामग्रियाँ पर एक जैसी नीति नहीं है। कई राज्यों में अफ़ीम का उत्पादन वैध है तो कई राज्यों में भांग व अफ़ीम के ठेके हैं। क्या इससे ड्रग्स नियंत्रित हो पाएगा?
शिया-सुन्नी मतभेदों को बढ़ाने में जहां पश्चिमी ताक़तें सक्रिय रहती हैं, वहीं समय-समय पर अरब हुकूमत या अरब द्वारा प्रसारित वहाबी विचारधारा ने भी कई बार जलती आग में घी डालने का काम किया है।
कोरोना संकट के दौरान देश में कई जगहों पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाई गई तो कई जगहों पर लोग जाति-धर्म का भेद किए बिना एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आए।
रमज़ान के पवित्र महीने में दरिंदों ने काबुल के एक मैटरनिटी हॉस्पिटल पर ऐसा हमला किया जिसमें 24 लोगों की जानें चली गयीं। इसे युद्ध अपराध का दर्जा देना भी पर्याप्त नहीं।
संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार करना भी एक बड़ी समस्या बन चुका है। किसी के शव के अंतिम संस्कार की विधि दरअसल इस बात पर निर्भर करती है कि वह अपने जीवनकाल में किस धर्म से संबंधित था।
'छत्रपति शिवाजी' के नाम से जुड़ा ताज़ा विवाद छिड़ा एक ऐसी पुस्तक को लेकर जिसका शीर्षक है 'आज के शिवाजी- नरेंद्र मोदी'। छत्रपति की मोदी से तुलना क्यों? क्या शिवाजी को मुसलमानों से नफ़रत थी?