पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों ने भाजपा की उम्मीदों और भरोसे को पंख लगा दिए हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन राज्यों की हैट्रिक जीत को 2024 में भाजपा की लोकसभा चुनावों में जीत की हैट्रिक की गारंटी बताया है। इन नतीजों से भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए के भीतर पहले से ही मौजूद भाजपा और मजबूत होगी और सहयोगियों के साथ सीट बँटवारे में उठ सकने वाले असंतोष के स्वर न सिर्फ खामोश होंगे बल्कि सहयोगी भाजपा की इच्छानुसार सीट बँटवारे के हर फार्मूले को सिर झुकाकर स्वीकार करेंगे। बिहार की हाजीपुर सीट के लिए न चिराग पासवान बाल हठ कर सकेंगे और न ही उनके चाचा पशुपति पारस ही हाजीपुर न मिलने पर एनडीए से बाहर जाने की सोच सकेंगे। जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा भी प्रसाद में जो मिलेगा उस पर ही खुश रहेंगे। कुछ इसी तरह उत्तर प्रदेश में अनुप्रिया पटेल का अपना दल और ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा सीट बंटवारे को लेकर आंखें नहीं तरेर सकेंगे। महाराष्ट्र में भी भाजपा ही तय करेगी कि लोकसभा की 48 सीटों में सहयोगी दलों शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजीत पवार) कितनी और कौन सी सीटों पर लड़ेंगे।