जब प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका में क्वाड पर भाषण देने में व्यस्त थे तब यहाँ भारत के पड़ोस श्रीलंका में सत्ता परिवर्तन हो रहा था। श्रीलंका में वो अनुरा कुमारा दिसानायके राष्ट्रपति चुने गए जो उत्तरी श्रीलंका में भारत के अडानी समूह द्वारा शुरू की जा रही सौर ऊर्जा परियोजना को रद्द करने की धमकी दी है। क्या यह 'पड़ोसी सर्वप्रथम नीति' को झटका है? क्या श्रीलंका मालदीव की राह पर चलेगा? मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल पहले से ही भारत से विमुख दिख रहे हैं। पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान का तो ज़िक्र ही न करें तो बेहतर। म्यांमार में हिंसक गृहयुद्ध से उलटे भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में अशांति का ख़तरा रहता है। तो सवाल है कि क्या भारत की विदेश नीति 'पड़ोसी सर्वप्रथम नीति' से हट गयी है या फिर यह कारगर होती नहीं दिख रही है?
भारत की विदेश नीति: श्रीलंका क्या मालदीव की राह पर?
- विश्लेषण
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- 25 Sep, 2024
मोदी सरकार की विदेश नीति पर अब एक और सवाल उठ खड़ा हुआ है कि आख़िर पड़ोसियों तक से भारत के संबंध क्यों बिगड़ते जा रहे हैं? मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल के बाद अब श्रीलंका को लेकर क्यों यह आशंका जताई जा रही है?

इस पूरे मामले को पूर्व विदेश सचिव रहे श्याम शरण कैसे देखते हैं, इसपर चर्चा बाद में पहले यह जान लें कि हाल के वर्षों में भारत के पड़ोस से संबंध कैसे रहे हैं और चीन कैसे पड़ोसी रिश्तों में सेंध लगा रहा है। श्रीलंका से कुछ महीने पहले मालदीव में चुनाव हुए थे। वहाँ मोहम्मद मुइज्जू राष्ट्रपति चुने गए थे। पिछले साल अक्टूबर महीने में राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद मुइज्जू ने कहा था कि लोग नहीं चाहते हैं कि भारत के सैनिकों की मौजूदगी मालदीव में हो और विदेशी सैनिकों को मालदीव की ज़मीन से जाना होगा।