अगर देश में देशद्रोह का क़ानून होता तो गद्दारों को सज़ा देने-दिलाने में मशक्कत करनी नहीं पड़ती। कभी देश के केंद्रीय मंत्री को यह बोलना नहीं पड़ता- ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो... को।’ राजद्रोह क़ानून से हम देशद्रोह के मामले नहीं निपटा सकते। राजद्रोह और देशद्रोह अलग-अलग हैं और इन्हें मिलाकर देखने-समझने की भूल को हमें रोकना भी होगा।
देशद्रोह क़ानून होता तो क्यों बोलते मंत्री ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो...’
- विश्लेषण
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- 29 Mar, 2025

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर
राजद्रोह मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फ़ैसले के बाद इस पर विवाद गहराया है। कुछ लोग इसे देशद्रोह मानते हैं। लेकिन क्या ऐसा है कि राजद्रोह क़ानून और देशद्रोह क़ानून एक ही हैं?
भारत में केंद्र ही नहीं, प्रदेश की सरकारें भी विधि द्वारा स्थापित होती हैं। लिहाजा नवनीत राणा और उनके पति को महाराष्ट्र सरकार को अस्थिर करने के आरोपों में घेर लिया जाता है। हालाँकि, अदालत ने इन दोनों को ‘राजद्रोह’ से बरी कर दिया है। मगर, राणा दंपती ने देश के साथ विद्रोह किया क्या? क़तई नहीं। ‘राजद्रोह’ देशद्रोह नहीं हो सकता। फिर देशद्रोह क्या है?