देश में पिछले साढ़े तीन महीने यानी क़रीब 100 दिन से डीजल-पेट्रोल के दाम नहीं बढ़े हैं। जबकि इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम क़रीब 85 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर क़रीब 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच गया है। प्रति बैरल 1 डॉलर से भी कम की बढ़ोतरी होने पर भी डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ाने वाली भारतीय तेल कंपनियाँ क़रीब 15 डॉलर यानी 18 फ़ीसदी बढ़ोतरी के बाद भी दाम क्यों नहीं बढ़ा रही हैं? आखिर वे नुक़सान क्यों सह रही हैं?
चुनाव बाद बढ़ेंगे डीजल-पेट्रोल के दाम? तेल कंपनियाँ तय करती हैं या सरकार
- अर्थतंत्र
- |
- 23 Feb, 2022
डीजल-पेट्रोल के दाम कम करने की मांग होने पर सरकार क्यों दलील देती है कि क़ीमतें तेल कंपनियाँ तय करती हैं और यह अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में हर रोज़ के कच्चे तेल के दाम पर निर्भर करता है?

इससे पहले देश में डीजल-पेट्रोल के दाम 2 नवंबर को बढ़े थे। उस दिन पेट्रोल के दाम लगातार सातवें दिन बढ़े थे और दिल्ली में पेट्रोल 110.04 रुपए प्रति लीटर पर पहुँच गया था और डीजल 98.42 रुपए पर था। उसी दिन 13 राज्यों में उपचुनाव के नतीजे आए थे। वे नतीजे बीजेपी के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं थे। और फिर 3 नवंबर को केंद्र सरकार ने उत्पाद शुल्क में कटौती का फ़ैसला लिया।