चाहे शिगूफ़े का इरादा हो, चाहे शरारत का, चाहे सनसनी का या फिर वास्तविक सरोकार का- मुक्तिबोध को लेकर दिलीप मंडल ने जो तीर चलाया, वह चल गया लगता है।
मुक्तिबोध के संदर्भ में - पार्टनर तुम्हारी जाति क्या है?
- साहित्य
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- 13 Nov, 2021

मुक्तिबोध की जाति पर विवाद क्यों है? पूछने वाले को खलनायक साबित करने में कुछ लोग क्यों जुटे हैं? क्या ऐसा कभी होगा कि मुक्तिबोध की जाति का सवाल बिल्कुल अप्रासंगिक हो जाए?
पिछले दिनों उन्होंने कवि मुक्तिबोध की जाति के उत्खनन की कोशिश की- बताया कि वे कुशवाहा हैं। यह जानकारी बाद में ग़लत निकली। मुक्तिबोध की जाति पूछे जाने से बेहद बेचैन और अशांत एक समूह ने उनके बेटों से बात की। बेटों ने शालीनता के साथ बताया कि हालाँकि वे जाति को अहमियत नहीं देते हैं, लेकिन महाराष्ट्र के ब्राह्मण हैं।
यानी जाति सामने आ गई। जाति को महत्व दिए बिना अपने ब्राह्मणत्व का एक सहज-सामान्य तथ्य की तरह यह उल्लेख बताता है कि जाति बनी हुई है। क्या मुक्तिबोध दलित होते तब भी यह तथ्य इतना ही छुपा रहता और क्या तब भी उनके बेटे यह कह सकने की स्थिति में होते कि वे जाति-पांति को नहीं मानते, लेकिन दरअसल वे दलित हैं?