भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद ने राजनीति में क़दम रख रख दिया है और अपनी नई पार्टी का एलान कर दिया है। दलितों के मसीहा कांशीराम के जन्मदिन 15 मार्च यानी रविवार को नई पार्टी की घोषणा करके चंद्रशेखर ने उनकी राजनीतिक विरासत पर अपना दावा ठोक दिया है।
कांशीराम की विरासत पर दावा, क्या मायावती का विकल्प बन पाएँगे चंद्रशेखर?
- विचार
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- 17 Mar, 2020
भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद ने राजनीति में क़दम रख रख दिया है और अपनी नई पार्टी का एलान कर दिया है। चंद्रशेखर ने उनकी राजनीतिक विरासत पर अपना दावा ठोक दिया है। क्या वह मायावती का विकल्प बन पाएँगे?

पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भी यह चर्चा थी कि भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ख़ुद चुनाव लड़ सकते हैं। चर्चा तो यहाँ तक थी कि चंद्रशेखर वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ेंगे तब चंद्रशेखर ने मायावती को दलितों की एकमात्र नेता मानते हुए उन्हीं को अपना समर्थन देने का एलान किया था। लोकसभा चुनाव में बीसपी को दस सीटें मिली थीं। लेकिन इसके बाद मायावती सड़क पर राजनीतिक संघर्ष भूल गईं। लोकसभा चुनाव के बाद से किसी भी मुद्दे पर उन्होंने बीएसपी को सड़कों पर नहीं उतारा। इसके उलट चंद्रशेखर ने दलित और मुसलिम समाज से जुड़े मुद्दों पर आक्रामक राजनीति करके बीएसपी के इस मज़बूत वोट बैंक में सेंध लगाने की पूरी कोशिश की है।