आर्थिक जगत में डॉ. भीमराव आम्बेडकर के योगदान को हमेशा कमतर आँका गया है। आमतौर पर जन-जन में उनकी छवि संविधान निर्माता और युगांतरकारी नेता के रूप में ही प्रमुखता से रही है। अर्थ जगत में डॉ. आम्बेडकर के योगदान की चर्चा कम ही होती है। डाॅ. आम्बेडकर ने विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, शिक्षाविद, चिंतक, धर्मशास्त्री, पत्रकार, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता आदि अनेक रूपों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज़ादी के बाद अगर उन्हें समय मिलता, तो निश्चित ही अर्थशास्त्री के रूप में उनकी सेवाओं का लाभ दुनिया ले पाती। भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना में डॉ. आम्बेडकर का योगदान महत्वपूर्ण है।
आम्बेडकर संविधान तक ही सीमित नहीं, अर्थशास्त्र में योगदान को क्यों भूले?
- विचार
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- 3 Jan, 2020

आर्थिक जगत में डॉ. भीमराव आम्बेडकर के योगदान को हमेशा कमतर आँका गया है। आज़ादी के बाद अगर उन्हें समय मिलता, तो निश्चित ही अर्थशास्त्री के रूप में उनकी सेवाओं का लाभ दुनिया ले पाती।
कोलम्बिया विश्वविद्यालय में पढ़ाई के वक़्त डॉ. आम्बेडकर जिन विषयों में अध्ययन कर रहे थे, उनमें अर्थशास्त्र भी था। कोलम्बिया विश्वविद्यालय से उन्होंने अर्थशास्त्र में ही 'इवोल्यूशन ऑफ़ इंडिया फ़ाइनेंस इन ब्रिटिश इंडिया' विषय पर पीएचडी की थी। लंदन स्कूल ऑफ़ इकॉनमिक्स से भी उन्होंने डीएससी की रिसर्च की, जिसका विषय था 'प्रॉब्लम्स ऑफ़ रुपी : इट्स ऑरिजिन एंड इट्स सोल्यूशन'। यह एक शोध ग्रंथ के रूप में प्रकाशित भी हुआ था, जिसकी भूमिका प्रख्यात अर्थशास्त्री एडविन केनन ने लिखी थी। आम्बेडकर के बारे में नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा था कि आम्बेडकर अर्थशास्त्र के क्षेत्र में मेरे आदर्श हैं, उन्हें जो भी मान-सम्मान मिला है, वे उससे कहीं ज़्यादा के हकदार हैं। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उनका योगदान बेहद शानदार रहा है। उसे हमेशा याद किया जाना चाहिए।