कोरोना का कहर भयानक हो रहा है, आगे और भयानक होगा। भारत की अर्थव्यवस्था पहली बार सिकुड़ेगी यानी विकास दर बजाय बढ़ने के घटेगी। तमाम विशेषज्ञों का मानना है कि चूँकि लॉकडाउन की वजह से सारी आर्थिक गतिविधियाँ बंद हो गयी हैं, बाज़ार बंद हैं, यातायात बंद है, रेल बंद है, हवाई जहाज़ बंद हैं, सारे प्रवासी मज़दूर या दिहाड़ी मज़दूर घरों में बंद हैं, रेस्तराँ, मॉल, सिनेमाहॉल, फ़ैक्ट्री, कारख़ाने बंद हैं, ऐसे में अर्थव्यवस्था के फ़िलहाल बढ़ने का कोई कारण नहीं है। मशहूर रेटिंग एजेंसी गोल्डमैन सैक्स का आकलन है कि भारत की अर्थव्यवस्था 0.4% सिकुड़ेगी।

भारत के लिए एक ही संतोष की बात हो सकती है कि ऐसे हालात सिर्फ़ देश में ही नहीं होंगे। पूरी दुनिया इस संकट से दो चार होगी। आईएमए़फ़ के एक आकलन के मुताबिक़ वैश्विक जीडीपी में 3% की सिकुड़न देखने में आयेगी यानी विकास नकारात्मक होगा। अमेरिका, चीन, यूरोप, लैटिन अमेरिका और अफ़्रीका, कोई भी इस कोरोना की मार से बचेगा नहीं।
यही आकलन अंतरराष्ट्रीय फ़ाइनेंशियल सर्विस फ़र्म नोमुरा का भी है। उसका भी मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था में 2020-21 में कोई प्रगति नहीं होगी। इसमें 0.4% की सिकुड़न देखने को मिलेगी। हम आपको बता दें कि भारत की अर्थव्यवस्था पहले से ही बदहाल थी। कोरोना और लॉकडाउन के पहले से ही विकास दर यानी जीडीपी वृद्धि दर पाँच प्रतिशत से नीचे आ गयी थी। ऐसे में कम से कम चालीस दिन का लॉकडाउन इस अर्थव्यवस्था की रही सही कमर भी तोड़ रहा है।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।