वर्ष 2019 में जहाँ भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने तमाम ऐतिहासिक फ़ैसले सुनाए वहीं कुछ ऐसी न्यायिक निष्क्रियता भी दिखी जिसने न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल उठाये। इन सबसे पहले देश की सबसे बड़ी अदालत के चार सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों ने जनवरी 2018 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा था कि देश न्यायिक संकट से जूझ रहा है।