गणपति जी पधार रहे हैं। महाराष्ट्र वालों ने गणपति यानी गणेश जी को 'बप्पा' क्या कहा, अब वे पूरे देश में और दुनिया में जहाँ-जहाँ भारतीय रहते हैं वहां-वहां 'बप्पा' के नाम से ही जाने जाते हैं। दरअसल, हमारे यहां असल नामों से ज्यादा उपनाम जल्दी ग्राह्य होते हैं। गणेश जी हमारे भारतीय आस्थाओं का एक ऐसा प्रतीक हैं जो चाहे मिट्टी के बनाये जाएँ चाहे प्लास्टर ऑफ़ पेरिस के या फिर गोबर के, रहते गणेश ही हैं।

हम लोग किसी भी काम को आरम्भ करने के लिए 'श्रीगणेश ' करना कहते हैं। संसद के विशेष सत्र का श्रीगणेश भी इसी परम्परा के अनुसार हो रहा है। जानिए भगवान श्रीगणेश के बारे में।
उनके नाम का स्मरण करते ही जो तस्वीर हमारे जहन में उभरती है वो स्थायी, एकरूप वाली होती है। यानी लम्बोदर, गज-वदन मनोहर वाली। इस तस्वीर को कभी कोई मिटा नहीं पाया अर्थात ये तस्वीर अविनाशी है। इसे किसी मुगल से, किसी अंग्रेज से या किसी उदयनिधि से कोई ख़तरा नहीं है। गणेश जी हमारी संस्कृति के ऐसे नायक हैं जो जन-जन के प्रिय हैं। उनकी काया में गज और मनुष्य दोनों का समावेश है। उनका ठेका कोई नहीं ले सकता। हालाँकि देश में पहली बार विघ्नहर्ता गणेश के समारोह में सियासत ने भांजी मारने की कोशिश की है।