आजादी का अमृत महोत्सव की धूम रही। होनी भी चाहिए। हमारी आजादी खास है, हमारी आजादी की लड़ाई खास है, हमारे नायक खास थे और हिंदुस्तान से आगे बढ़कर उनका प्रभाव दुनिया भर में गया। हमारी चुनौतियां खास रही हैं और कई मायनों में हमारी उपलब्धियां भी खास रही हैं। और हमने 1972 और 1997 में आजादी की रजत जयंती और स्वर्ण जयंती भी बहुत उत्साह से मनाई थी, कई बड़ी योजनाएं शुरू की गई थीं।
75 साल: मोदी सरकार ने कोई बड़ी योजना शुरू नहीं की?
- विचार
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- 23 Aug, 2022

आज़ादी के जब 25 और 50 साल हुए थे तो कई बड़ी योजनाएँ शुरू की गई थीं, लेकिन 75 साल होने पर क्या कोई बड़ी योजना घोषित की गई?
आज की सरकार और उसके पीछे बैठे संघ परिवार ने शोर बहुत मचाया लेकिन कोई बड़ा कार्यक्रम सामने नहीं आया। शुरुआत तो सवा साल पहले हुई थी लेकिन साल भर सरकार उसे बिसराए ही रही। इस बीच गांधी की छवि धूमिल करने, नेहरू को बिसारने, जेपी-लोहिया को हाशिए पर डालने और आजादी के संघर्ष को खंडित और विभाजित बताने तथा अपने सावरकर को प्रतिष्ठित करने का छल भी चला गया। आजादी की लड़ाई को भी हिन्दू-मुसलमान बंटवारे में इस्तेमाल करने के लिए पंद्रह अगस्त से ठीक पहले विभाजन को याद करने का कार्यक्रम चला। कहीं हिन्दू-मुसलमान एकता वाला बल दिखाई न दे इसलिए 2021 में 1921 के असहयोग आंदोलन को भुलाकर मई से नमक सत्याग्रह को याद करके अमृत महोत्सव की शुरुआत की गई।