दिसंबर, 2012 में हुए सनसनीखेज निर्भया कांड के बाद देश में जनता के आक्रोष को देखते हुए सरकार ने बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के अपराध के लिए कठोर सज़ा का प्रावधान करने के साथ ही इस अपराध के मुक़दमों के लिए विशेष अदालतें गठित करने का निर्णय लिया था। लेकिन इसे मूर्तरूप लेने में वक़्त लग रहा है। क़ानून में यह व्यवस्था की गयी कि इन त्वरित विशेष अदालतों की अध्यक्षता यथासंभव महिला न्यायाधीश करेंगी।