सियासत में महिलाओं की हिस्सेदारी का सवाल जोर-शोर से उठाया जाता रहा है। महिलाओं को संसद और विधानसभाओं में तैंतीस फीसद नुमाइंदगी का बिल संसद में पेश भी हुआ लेकिन पास नहीं हुआ। यह सालों से लंबित है। सियासी दल महिलाओं के पक्ष में बोलते-बतियाते जरूर हैं लेकिन व्यावहारिक तौर पर ऐसा करने से गुरेज करते हैं। सियासी दलों की अपनी-अपनी सोच है और नजरिया।
जेडीयू का सियासी दांव: संगठन में महिलाओं को दी 33 फीसद हिस्सेदारी
- राजनीति
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- 10 Aug, 2021

महिलाओं को संसद और विधानसभाओं में तैंतीस फीसद नुमाइंदगी का बिल संसद में पेश भी हुआ लेकिन पास नहीं हुआ।
लेकिन इसके अलावा वोट बैंक और जातियों का गणित भी इन सबके पीछे है। इसलिए महिलाओं के आरक्षण पर बोलते तो सब हैं लेकिन इस पर अमल करने से तमाम दल कतराते हैं।
महिलाओं के सशक्तिकरण के मुद्दे पर जब-तब नारीवादी संगठन और संस्थाएं आवाज तो उठाती हैं लेकिन महिलाओं को सियासत में आरक्षण देने के मुद्दे पर सियासी दलों को वह घेर नहीं पाती हैं। नतीजा सामने है। सभा-सेमिनारों से यह मुद्दा आगे नहीं बढ़ पाता है। हालांकि बिहार में पंचायत स्तर पर सरकार ने यह प्रयोग किया।