इससे अधिक हास्यास्पद, तर्कहीन और नकारात्मक बात क्या हो सकती है कि प्रधानमंत्री देश के विपक्ष पर देश के विकास को रोकने का आरोप लगाए। पत्रकार वंदिता मिश्रा का कहना है कि पीएम मोदी की गारंटियों पर अब और भरोसा नहीं किया जा सकता है। पढ़िएः
2000 रुपये के नोट को वापस लेने के फ़ैसले को कालेधन पर प्रहार क्यों बताया जा रहा है? जब 2000 रुपये का नोट शुरू हुआ था तब भी कालाधन पर प्रहार ही था? आख़िर यह कैसे संभव है?
नोटबंदी जब 2016 में हुई तो भारी तबाही हुई । अर्थव्यवस्था की चूलें हिल गई । अब सरकार ने 2000 के नोट बंद करने का फ़ैसला किया है । क्यों लिया सरकार ने ये फ़ैसला ? क्या फिर होगी अफ़रा तफ़री ? क्या फिर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असर ? आशुतोष के साथ चर्चा में प्रो संतोष मेहरोत्रा, संजय कुमार सिंह और आलोक जोशी ।
सरकार के निर्देश पर आरबीआई ने कल दो हजार के नोटों का चलन बंद करने की घोषणा की। पत्रकार संजय कुमार सिंह बता रहे हैं कि इस निर्णय से भारत सरकार की नोटबंदी नीति और भारतीय करंसी की साख क्यों दांव पर लग गई है।
वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आ गया तो इस पर सवाल नहीं उठने चाहिए। लेकिन क्या अब तक सरकार की तरफ़ से ही कोई यह कहने की स्थिति में है कि नोटबंदी का फ़ैसला अच्छा था? कोई भी फ़ायदा गिनाया जा सकता है?
नोटबंदी के ऐलान के बाद देश में भगदड़ मच गई थी और बड़ी संख्या में लोग एटीएम के बाहर पहुंच गए थे। लेकिन कुछ ही घंटों में एटीएम से सारी नकदी खत्म हो गई थी और लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा था।
मोदी सरकार की नोटबंदी के छह साल बाद सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आया है और इसने इसे सही बताया है। लेकिन पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने नोटबंदी के आर्थिक नुक़सान गिनाए थे। वह कितने सही साबित हुए?
नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बीजेपी और कांग्रेस अलग-अलग नजरिए से देख रहे हैं। इसमें कांग्रेस की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है। कांग्रेस ने आज 2 जनवरी को सवाल उठाया कि सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को सही कहां ठहराया है।
नोटबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किए गए एक के बाद एक ट्वीट में पी. चिदंबरम ने कहा कि इस मामले में अल्पमत के फैसले ने लोकतंत्र में संसद की अहम भूमिका पर जोर दिया है और ऐसी आशा है कि भविष्य में भी निरंकुश संसद जनता पर अपने विनाशकारी फैसलों को नहीं थोपेगी।
नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक पीठ में से 4 ने आज सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया। सिर्फ एकमात्र जज जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने तीखे सवाल करते हुए सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया। उनकी टिप्पणियां इस देश के लोगों और राजनीतिक दलों को पढ़ना चाहिए। कानूनी मामलों की वेबसाइट लाइव लॉ ने इन्हें विस्तार से प्रकाशित किया हैः
नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 2 जनवरी को आने वाला है। इंडियन एक्सप्रेस ने आज 28 दिसंबर को एक रिपोर्ट छापकर बताया है कि सरकार और आरबीआई ने नोटबंदी को लेकर कई तथ्य सुप्रीम कोर्ट से छिपा लिए। जिन तथ्यों के आधार पर नोटबंदी की बात कही गई थी, वास्तविकता से दूर थी। पढ़िए रिपोर्टः
दो हज़ार का नोट बंद करने की माँग करके क्या बीजेपी नेता सुशील मोदी ने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है? क्या इससे एक बार फिर ये साबित नहीं हो गया कि दो हज़ार का नोट चलाने से काला धन को और बढ़ावा मिला है? इस मांग ने नोटबंदी को एक बार फिर ग़लत नहीं ठहरा दिया है?