हमें एक ऐसे परिदृश्य की कल्पना करना प्रारम्भ कर देना चाहिए जिसमें फ़ेसबुक, ट्विटर, वाट्सऐप, इंस्टा, आदि जैसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म या तो हमसे छीन लिए जाएँगे या उन पर व्यवस्था का कड़ा नियंत्रण हो जाएगा।
फ़ेसबुक इंडिया ने यह माना है कि उसने वायरल हो चुके #ResignModi को कुछ समय के लिए ब्लॉक कर दिया था। उसने सफाई देते हुए कहा है कि यह गलती से हो गया था और ऐसा करने के लिए केंद्र सरकार ने उससे कहा नहीं था।
भारत में सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी को ग़लत ढंग से फ़ायदा पहुँचाने और उसके लिए अपने नियम क़ानून को ताक पर रखने के लिए फ़ेसबुक एक बार फिर विवादों में है।
फ़ेसबुक डाटा सुरक्षा में सेंधमारी की बार-बार आती रही रिपोर्टों के बीच अब 53 करोड़ फ़ेसबुक यूज़रों की गुप्त जानकारी ऑनलाइन पाई गई है। जिनकी जानकारियाँ लीक हुई हैं वे 100 से अधिक देशों के यूजरों की हैं।
दुनिया भर के डिजिटल समाचार उद्योग में बड़ी उथल-पुथल मची हुई है। गूगल और फ़ेसबुक जैसी कंपनियों और कई देशों के बीच जारी जंग इस परिवर्तन के केंद्र में है। ऑस्ट्रेलिया में विवाद चल रहा है।
कैपिटल बिल्डिंग यानी अमेरिकी संसद भवन हिंसा मामले में निशाने पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम खाते को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है।
मोबाइल डेटा यानी यूज़र की जानकारी को लेकर दुनिया की दो दिग्गज कंपनियाँ फ़ेसबुक और एप्पल आमने-सामने हैं। वही डेटा जिस पर हममें से अधिकतर लोग ध्यान भी नहीं देते।
जिस फेसबुक पर बीजेपी के करीबी होने का आरोप लगा उसके कर्मचारियों को बजरंग दल से ख़तरा? क्या किसान संगठनों में फूट डालने में लगी है सरकार? देखिए वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास के साथ। Satya Hindi
अमेरिकी अख़बार वाल स्ट्रीट जनरल ने एक बार फिर से फेसबुक की पोल खोल दी है। इस बार अपने आंतरिक आकलन में बजरंगियों को ख़तरनाक़ मानने के बावजूद फेसबुक द्वारा कार्रवाई न करने पर उँगली उठाई है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-
क्या 100 से अधिक देशों में काम करने वाली और 3.10 अरब सब्सक्राइबर वाली अमेरिकी खरबपति कंपनी फ़ेसबुक भारत के उग्र हिन्दूवादी संगठन बजरंग दल से डरी-सहमी हुई है?
अमेरिका के फ़ेडरल ट्रेड कमिशन यानी एफ़टीसी और अमेरिका के 48 राज्यों ने फ़ेसबुक पर अपने प्रतिद्वंद्वियों को ख़त्म करने के गंभीर आरोप लगे हैं और केस दर्ज कराया गया है।
गूगल, एप्पल, फ़ेसबुक और एमेजॉन जैसी बड़ी और अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनियों का बाज़ार पर एकाधिकार जल्द ही ख़त्म हो सकता है। यह भी हो सकता है कि इन कंपनियों को छोटी-छोटी कंपनियों में बाँट दिया जाए।