रोजमर्रा की सबसे बड़ी ज़रूरत वाली तीन सब्जियों- आलू, प्याज और टमाटर की महंगाई आख़िर बार-बार आसमान क्यों छू लेती है? किसान कभी सब्जियाँ सड़कों पर फेंकने को मजबूर होते हैं तो कभी ग़रीबों की इसको ख़रीदने की क्षमता तक नहीं बच पाती?
क्या चाँद पर उतरने वाला देश, मन्दिर तक जाने वाली सड़क –रामपथ – को भी ठीक से नहीं बनवा सकता? सड़क और रेलवे स्टेशन की चहारदीवारी गिरने का कारण भ्रष्टाचार के अलावा कुछ और हो सकता है?
मोदी पार्टी यानी भाजपा अपने दम पर आम चुनाव में बहुमत नहीं पा सकी और कुछ दलों की बैसाखियों पर टिकी इस सरकार के मुखिया न जाने क्या-क्या दावे कर रहे हैं। भाजपा की हार का विश्लेषण जारी है। वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह ने भी अपने तरीके से मोदी पार्टी की हार का विश्लेषण किया है। उनके विचार जानिएः
पीएम मोदी कन्याकुमारी में ध्यान लगाए बैठे हैं और देश के तमाम पत्रकार और चिन्तक उस पर अपनी कलम चला रहे हैं। हर किसी के देखने का नजरिया है। पेश है यह नजरिया। पढ़िएः
चुनाव आयोग पर लगातार गंभीर सवाल क्यों उठ रहे हैं? चुनाव प्रचार में नफ़रती भाषणों पर कार्रवाई से लेकर मतदान के आँकड़े जारी करने में देरी तक को लेकर ईसीआई निशाने पर क्यों है? अब विपक्षी नेता खड़गे पर ही आयोग नाराज़ क्यों?
पतंजलि के उत्पादों के विज्ञापनों में कथित उल-जलूल दावों पर बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की माफी के बाद भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। आख़िर किन वजहों से पतंजलि ने ऐसे दावे करने शुरू कर दिए थे?
मोदी सरकार का गवर्नेंस मॉडल किसके लिए है? इससे किसको फ़ायदा हो रहा है? मिनरल वॉटर पीने वालों को या फिर दो वक़्त का खाना भी न खा पाने वालों को? वरिष्ठ पत्रकार एन के सिंह बता रहे हैं गवर्नेंस मॉडल का पूरा सच-
नारद घोटाले में सीबीआई ने सत्ताधारी टीएमसी के चार नेताओं को गिरफ्तार किया लेकिन मुख्य अभियुक्त सहित जो अन्य आरोपी केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी में शामिल हो गए उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसा क्यों?
देश जब दवा, बेड्स, इलाज, ऑक्सीजन और टीके के अभाव में मौत सामने देख रहा है, देर से ही सही, प्रधानमंत्री के सांत्वना और भरोसे के दो शब्द देशवासियों ने सुने।
कोरोना वायरस की असली शक्ति है मनुष्य के रक्त के आरबीसी में प्राकृतिक मोलिक्यूल—बिलीवरडीन और बिलीरुबिन- जो शरीर में बने एंटीबाडीज को भी रोक देते हैं और स्वयं इस प्रोटीन के साथ जुड़ कर कोरोना को सुरक्षित कर देते हैं।
उत्तर प्रदेश के हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत पिछले दो सालों में निरुद्ध 41 लोगों में (जिनमें 90 फ़ीसदी अल्पसंख्यक थे) 30 की गिरफ़्तारी ग़लत क़रार दी। नौकरशाही को आख़िर हुआ क्या है?