राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के समर्थन से विधान परिषद की एक सीट जीतने पर बिहार की राजनीति में तूफान आ गया है। लोग तरह-तरह के नजरिए से इसे देख रहे हैं लेकिन वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शैलेश बता रहे हैं कि प्रशांत किशोर की राजनीति को इससे क्या फायदा होगा।
प्रशांत किशोर अपने गृह राज्य से राजनीति की शुरुआत करने जा रहे हैं, जिसके लिए वे कई प्रकार के सर्वे करवा रहे हैं। लेकिन उससे पहले उनके द्वारा समर्थित उम्मीदवार का चुनाव जीतना उनके लिए राहत की बात है, जो दूसरे दलों की चिंताएं बढ़ाएगा।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की तरह चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके भी बिहार में जन सुराज यात्रा निकाल रहे हैं। इस यात्रा को निकालने के पीछे पीके का क्या कोई राजनीतिक मकसद है?
खुद को चुनावी रणनीतिकार कहने वाले प्रशांत किशोर उर्फ पीके को जेडीयू ने बिजनेसमैन बताया है। पीके जेडीयू में फिर से घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं। जेडीयू चीफ ललन सिंह ने शनिवार 17 सितंबर को उन पर कड़ा हमला बोला है।
प्रशांत किशोर नीतीश के बेहद करीबी लोगों में रहे हैं। नीतीश ने ही उन्हें जेडीयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था। लेकिन वह क्यों फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ आना चाहते हैं?
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने हाथ जोड़कर क्यों कहा कि अब भविष्य में कभी भी कांग्रेस में शामिल नहीं होऊँगा? उन्होंने क्यों कहा कि खुद तो डुबेगी ही मुझे भी डुबो देगी?
Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन । PK: अगले 20-30 साल राजनीति BJP के इर्द-गिर्द घूमेगी, हराना मुश्किल । राष्ट्रपति चुनाव: बीजेपी ने की अहम बैठक; एकजुट होगा विपक्ष?
जब से प्रशांत किशोर ने बिहार से नयी शुरुआत करने को लेकर ट्वीट किया है तब से बिहार की राजनीति में गहमागहमी क्यों है? क्या प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार में बात बनने की कोई गुंजाइश नहीं है?
Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। ‘4 दलों के अलावा नई राजनीतिक मुहिम का कोई भविष्य नहीं’ । सिद्धू के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग, पंजाब कांग्रेस प्रभारी का सोनिया को पत्र