राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी को जब भी सत्ता में आने का मौक़ा मिलता है, उनके नेता ‘इतिहास के पुनर्लेखन’ को काफ़ी महत्व देते हैं। इतिहास के पुनर्लेखन के उनके आह्वान के दो महत्वपूर्ण पहलू होते हैं-जहाँ उन्हें असहज लगता है, वे गली-मोहल्ले-गाँव-नगर से लेकर रेलवे स्टेशनों और स्कूलों-विश्वविद्यालयों के नाम अपनी पसंद के रखना शुरू कर देते हैं।

जब तक कोई लेखक यह नहीं लिखेगा कि अयोध्या में ध्वस्त की गई बाबरी मसजिद के ठीक नीचे ही राजा दशरथ और रानी कौशल्या का ‘बेडरूम’ या ‘गर्भगृह’ हुआ करता था, तब तक आप कैसे मानेंगे कि इतिहास का सही लेखन हुआ है?



























