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क्या अयोध्या के बाद अब मथुरा और वाराणसी की बारी है?

क्या अयोध्या के बाद अब मथुरा और वाराणसी की बारी है? क्या रामजन्मभूमि विवाद के बाद वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा में श्रीकृष्णजन्मभूमि मंदिर के लिए आन्दोलन शुरू होने वाला है? ये सवाल इसलिए उठते हैं कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कहा है कि वह इन दो मंदिरों के लिए क़ानूनी लड़ाई शुरू करने जा रही है। 
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, प्रयागराज में 13 अखाड़ों के प्रमुखों की बैठक हाल फ़िलहाल हुई है, जिसमें यह फ़ैसला लिया गया। इस बाबत एक प्रस्ताव भी पारित किया गया।
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क्या कहना है अखाड़ा परिषद का?

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर को आज़ाद कराने का प्रस्ताव पास किया गया। मुसलिम आक्रमणकारियों और आतंकवादियों ने मुग़ल काल में मंदिरों को तोड़ कर वहां मसजिद व मक़बरे बना दिए।' उन्होंने इसके आगे कहा,

'जिस तरह संत समाज ने अयोध्या के रामजन्मभूमि मंदिर को मुक्त कराने के लिए आन्दोलन चलाया था, वाराणसी और मथुरा के मंदिरों के लिए भी वैसा ही आन्दोलन शुरू किया जाएगा। अखाड़ा परिषद जल्द ही वाराणसी और मथुरा में इन मंदिरों के तोड़े जाने से जुड़ा एफ़आईआर दर्ज कराएगी।'


महंत नरेंद्र गिरि, अध्यक्ष, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद

अखाड़ा परिषद ने यह भी कहा कि इस मामले में विश्व हिन्दू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भी मदद ली जाएगी। महंत नरेंद्र गिरि ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि परिषद इस मामले में एक पक्ष बनेगी और इसकी क़ानूनी लड़ाई लड़ेगी। पर इसके लिए कोई असंवैधानिक रास्ता नहीं अपनाया जाएगा।
अखाड़ा परिषद बहुत बड़ा संगठन नहीं है, उत्तर प्रदेश के बाहर इसका बड़ा आधार भी नहीं है। ऐसे में इसके इस बयान को कुछ स्थानीय आचार्यों की कोशिश माना जा सकता है जो अपने निजी हित के लिए यह सब कर रहे हैं। पर इसे हल्के में भी नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि किसी समय विश्व हिन्दू परिषद की भी पहचान उत्तर प्रदेश तक ही सीमित थी और रामजन्मभूमि मंदिर विवाद से ज़्यादातर हिन्दू परिचित नहीं थे। पर विश्व हिन्दू परिषद ने इसे मुद्दा बनाया और उसके आधार पर ही वह बड़ी होती गई, आगे बढ़ती गई।
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क़मर वहीद नक़वी
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