महाराष्ट्र की अपेक्षा असम में सुबह जल्दी होती है। मगर, बागी शिवसैनिकों के लिए सुबह का इंतज़ार हर रोज लंबा होता जा रहा है। एकनाथ शिंदे के राष्ट्रीय पार्टी के समर्थन की खुली घोषणा के बावजूद बीजेपी अब तक बागियों का साथ देने सामने नहीं आ सकी है। संख्या बल में लगातार बढ़ोतरी और यहां तक कि शिवसेना की ताकत का दो तिहाई जुटा लेने के बाद भी बागी खेमा निराश है क्योंकि उसे कोई नतीजा मिलता नहीं दिख रहा है।