महाराष्ट्र की अपेक्षा असम में सुबह जल्दी होती है। मगर, बागी शिवसैनिकों के लिए सुबह का इंतज़ार हर रोज लंबा होता जा रहा है। एकनाथ शिंदे के राष्ट्रीय पार्टी के समर्थन की खुली घोषणा के बावजूद बीजेपी अब तक बागियों का साथ देने सामने नहीं आ सकी है। संख्या बल में लगातार बढ़ोतरी और यहां तक कि शिवसेना की ताकत का दो तिहाई जुटा लेने के बाद भी बागी खेमा निराश है क्योंकि उसे कोई नतीजा मिलता नहीं दिख रहा है।
शिवसेना के बागियों की मदद क्यों नहीं कर रही बीजेपी?
- विश्लेषण
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- 25 Jun, 2022

महाविकास अघाड़ी सरकार पर आए संकट के दौरान कांग्रेस और एनसीपी मजबूती से शिवसेना के साथ खड़ी हैं। क्या इस वजह से बीजेपी और शिवसेना के बागी हताश हैं?
न उद्धव ठाकरे इस्तीफा दे रहे हैं और न महा विकास अघाड़ी गठबंधन में कोई ऐसी फूट पड़ रही है जिससे उद्धव सरकार गिर जाए।
इनमें से कोई भी घटना होती तो बीजेपी महाराष्ट्र पर उपकार करने चली आती कि अब जनता के लिए बीजेपी ही विकल्प है। मगर, एनसीपी और कांग्रेस के बुद्धिमत्तापूर्ण व्यवहार ने न सिर्फ बागी शिवसैनिक विधायकों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है बल्कि बीजेपी की सारी योजना भी धरी की धरी रह गयी है।