चुनाव से पहले की सरकारी तैयारियों के क्रम में एक लोक-लुभावन ख़बर छपी है जो आयकर सीमा बढ़ाने के बारे में है। अज्ञात और अनाम सूत्रों के हवाले से छपी इन ख़बरों का एक ही मक़सद हो सकता है और वह है यह अनुमान लगाना कि बजट सत्र में इसकी घोषणा कर दी जाए तो सरकार को कितना लाभ होगा और होगा भी कि नहीं। हालाँकि, सरकार इस मामले में भी गंभीर होती तो आँकड़ों के साथ यह ख़बर आती कि इस तरह से यह संभव है और किया जा सकता है। वैसे, यह भी मुमकिन है कि सरकार जानती है कि ऐसा किया नहीं जा सकता है और उसे करना नहीं है। पर वह माहौल समझना चाहती है ताकि जाते-जाते यह घोषणा कर ही दे तो इसका लाभ होगा कि नहीं। आप जानते हैं कि यह सरकार अपने कार्यकाल के अंतिम संसद सत्र में जो घोषणा करेगी वह लागू तो अगले साल ही होगा और इसका लाभ या नुक़सान अगली सरकार को झेलना है। मौजूदा सरकार को इस घोषणा का चुनावी लाभ भर मिलना है।