मंगलुरु में ऑटो में हुए धमाके के मामले में पुलिस मोहम्मद शरीक़ के ठीक होने का इंतजार कर रही है, जिसके बाद उससे पूछताछ की जाएगी। पुलिस ने बताया है कि शरीक़ ने यह बम अपने घर पर ही बनाया था और नदी के किनारे पर बम धमाके का अभ्यास भी किया था।
बेंगलुरु में वोटर डेटा चोरी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। पुलिस ने एक एनजीओ के कई डायरेक्टर और कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया है। कांग्रेस ने इस मामले को उठाया था। आरोप है कि सरकारी अधिकारी (बीएलओ) बनकर एनजीओ के कर्मचारियों ने हजारों वोटरों से उनका व्यक्तिगत डेटा हासिल कर लिया। इस मामले में अभी भी लीपापोती जारी है। पढ़िए क्या है मामलाः
कर्नाटक के मंगलुरु में शनिवार शाम एक ऑटो में विस्फोट हुआ था। कर्नाटक के डीजीपी ने रविवार को इसे आतंकी घटना बताया है। राज्य के गृह मंत्री का कहना है कि केंद्रीय जांच एजेंसी इसकी जांच कर रही हैं।
कर्नाटक में बोम्मई सरकार ने स्कूलों को भगवा रंग से रंगने का आदेश दिया तो कांग्रेस ने उसके जवाब में सीएम अंकल अभियान शुरू किया है। राज्य में अगले तीन-चार महीनों में चुनाव की घोषणा हो सकती है, इसलिए दोनों दलों ने अपने अभियान तेज कर दिए हैं। लेकिन कांग्रेस का ताजा अभियान सीएम अंकल आखिर क्या है, जानिएः
कर्नाटक में हुबली ईदगाह मैदान फिर सुर्खियों में है। वहां अब टीपू सुल्तान और कनकदास जयंती मनाने की अनुमति मांगी गई है। इस मुद्दे पर दलित संगठनों और ओवैसी की पार्टी का श्रीराम सेना से टकराव हो सकता है। दलित संगठनों ने उसी मैदान पर टीपू सुल्तान जयंती मनाने की अनुमति मांगी है। जानिए पूरा घटनाक्रमः
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में कॉमेडियन वीर दास का शो होना है। लेकिन एक हिन्दू संगठन ने इसका खुलकर विरोध किया है। संगठन का कहना है कि बेंगलुरु शो पुलिस फौरन रद्द करे। क्योंकि इससे कानून व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है।
कर्नाटक में कांग्रेस टिकट मांगने वालों की इस बार भरमार है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने टिकटार्थियों की भीड़ को रोकने के लिए आवेदन के साथ दो लाख रुपये का डिमांड ड्राफ्ट जमा करने को कहा है। आवेदन फॉर्म की कीमत पांच हजार रुपये है। यह पैसा पार्टी के राज्य मुख्यालय का नया दफ्तर बनाने पर खर्च होगा। कर्नाटक में कांग्रेस काफी मजबूत स्थिति में लग रही है।
संत ने जो दो पन्ने का सुसाइड नोट छोड़ा है उसमें कुछ लोगों पर आरोप लगाया है कि वे लोग उन्हें उनके पद से हटाना चाहते थे और इसके लिए उनका उत्पीड़न कर रहे थे। बसवलिंगा स्वामी 44 साल के थे।
दलितों के ख़िलाफ़ एक के बाद एक उत्पीड़न के मामले क्यों सामने आते रहे हैं? आख़िर दलितों का उत्पीड़न क्यों नहीं रुकता? जानिए अब कर्नाटक में दलितों के साथ क्या बर्ताव हुआ।