महाकुम्भ के नाम पर हादसे- पर- हादसे होते जा रहे हैं। देश की राजधानी के नई दिल्ली स्टेशन पर बीती रात भगदड़ में 18 कुम्भ तीर्थयात्री परलोक सिधार गए। 19 -20 दिन पहले प्रयागराज के महाकुम्भ स्थल की भगदड़ में 30 भक्त लोग अज्ञात- अदृश्य मोक्ष को प्राप्त हो चुके थे। यह आधिकारिक आँकड़ा है। लेकिन, अघोषित वास्तविक आँकड़े कई गुना अधिक माने जाते हैं। जब नई दिल्ली स्टेशन का हादसा -आँकड़ा बढ़ता गया है, तब महाकुम्भ की त्रासदी के आँकड़ों का अनुमान सहज में लगाया जा सकता है। प्रयागराज में तो तीन-तीन बार भगदड़ मचने की ख़बरें छपी हैं। इससे त्रासदी की गहराई की कल्पना की जा सकती है।
लोग हक़ के लिए लड़ते तो भगदड़ रोकने को दबाव में होती सरकारें!
- विचार
- |
- |
- 17 Feb, 2025

अगर जनता महंगाई, रोजगार और अच्छी शिक्षा के लिए संघर्ष करती, तो सरकार को दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ रोकने के लिए भी दबाव में होती। क्या लोग सड़क पर उतरते से ऐसी जानलेवा लापरवाहियाँ हो पातीं?
इसी सन्दर्भ में कोविड -महा त्रासदी की याद आना स्वाभाविक है। कोविड महामारी के आंकड़ों पर आज भी रहस्य की चादर पड़ी हुई है। अलबत्ता भारत सरकार के एक महाझूठ का पर्दाफ़ाश ज़रूर हुआ। सरकार ताल ठोक कर कहती रही कि देश में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई। देश के लोग सच्चाई जानते हैं। राजधानी दिल्ली में ही इस जीवनदायनी गैस के अभाव में लोग काल का ग्रास बने हैं, जिसमें इस पत्रकार के परिचित भी शामिल हैं। अतः कोविड -त्रासदी और महाकुम्भ त्रासदी से सम्बंधित आंकड़ों के प्रति सरकारी नीयत कैसी है, यह स्वतः उजागर है। सरकार के दोहरे चरित्र की पुष्टि 2021 में गुजरात की कवयित्री पारुल खाखर की विश्व विख्यात कविता ‘शव वाहिनी गंगा‘ से की जा सकती है। आज महाकुम्भ की महात्रासदी के सन्दर्भ में फिर से इस कविता की गूंज कानों में सुनाई दे रही है।