मथुरा के नंदगाँव में नंदबाबा मंदिर परिसर में नमाज़ पढ़ने की तसवीर से हंगामा बरपा है। दो मुसलिम और दो हिन्दू देश में भाईचारगी का संदेश देने के लिए निकले थे। मगर, ऐसी बहस को जन्म दे बैठे जो भाईचारगी को नुक़सान पहुँचाती है। इरादे और मंशा पर चर्चा बाद में, मगर सबसे पहले सबसे ज्वलंत सवाल को लें- क्या किसी मसजिद में आरती, पूजा, सूर्य नमस्कार, वंदना, प्रार्थना, जैसे आयोजनों की अनुमति दी जा सकती है?
मथुरा: मंदिर में नमाज के वक़्त शांति, तसवीर पर हंगामा क्यों?
- विचार
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- 3 Nov, 2020

मंदिर परिसर की वायरल तसवीर।
मथुरा के नंदगाँव में नंदबाबा मंदिर परिसर में नमाज़ पढ़ने की तसवीर से हंगामा बरपा है। दो मुसलिम और दो हिन्दू देश में भाईचारगी का संदेश देने के लिए निकले थे। मगर, ऐसी बहस को जन्म दे बैठे जो भाईचारगी को नुक़सान पहुँचाती है।
इस प्रश्न का उत्तर अतीत में सहिष्णुता की जो गहराई थी, उसमें ढूंढ़ें। कबीरदास ने कहा था-
कंकर-पत्थर जोरि के मस्जिद लई बनाय,ता चढ़ि मुल्ला बांग दे का बहरा भया खुदाय?
कबीरदास ने तो मूर्ति पूजा का भी जबरदस्त विरोध किया था-
पाथर पूजें हरि मिलें तो मैं पूजूं पहाड़इससे तो चक्की भली, पीस खाए संसार