मार्च 2015 में हमारे प्रधानमंत्री ने देशवासियों से घरेलू गैस उपभोक्ताओं से गैस सब्सिडी छोड़ने का आह्वान किया था। सरकार द्वारा उस समय यही बताया गया था कि जनता द्वारा स्वेच्छा से सब्सिडी त्यागने के बाद जो धनराशि जुटाई जाएगी उससे उन ग़रीबों को मुफ़्त गैस कनेक्शन दिया जाएगा जो अभी तक लकड़ी या गोबर के उपले आदि जलाकर चूल्हे पर खाना बनाने के लिये मजबूर हैं। इसी महत्वाकांक्षी योजना का नाम था प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना जिसकी शुरुआत 2016 में ज़ोरदार आयोजनों व ज़बरदस्त प्रचार प्रसार के साथ हुई थी।
उज्ज्वला योजना: कितनी हक़ीक़त, कितना फ़साना
- विचार
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- 12 Oct, 2021

'प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना' के दूसरे चरण की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 10 अगस्त को उत्तर प्रदेश के महोबा ज़िले में की गयी। उज्ज्वला योजना के पहले चरण का क्या हस्र हुआ और दूसरे चरण का भी क्या मक़सद है?
जितने पैसे ग़रीबों को गैस कनेक्शन व गैस चूल्हा आदि मुफ़्त में उपलब्ध करवाने में सरकार ने ख़र्च किये होंगे संभवतः उतने ही पैसे इन योजना का ढिंढोरा पीटने में ख़र्च कर दिये गये। अख़बार, टीवी, फ़्लैक्स विज्ञापनों के अलावा देश का शायद ही कोई पेट्रोल पंप ऐसा बचा हो जहाँ प्रधानमंत्री के बड़े चित्र के साथ उज्ज्वला योजना का विशाल फ़्लैक्स बोर्ड न लगाया गया हो। इस योजना का एक दूरगामी मक़सद यह भी था कि भारतवर्ष एक ऐसे देश के रूप में जाना जा सके जो धुआँ रहित देश हो।