दिल्ली पुलिस ने जहांगीरपुरी हिंसा को शाहीनबाग, सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन और उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगों से जोड़ दिया है। उसने गुरुवार को कोर्ट में उस हिंसा की चार्जशीट पेश की है। इस चार्जशीट के सामने आने के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग़ के फ़ैसले पर पुनर्विचार याचिका ठुकराते हुए एक ऐसे फ़ैसले को सही ठहरा दिया है जो ढेर सारे प्रश्नों को जन्म देता है। इससे लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन का अधिकार बाधित हो सकता है और सरकारों को आंदोलन कुचलने का नया हौसला मिल सकता है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-
सुप्रीम कोर्ट ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण फ़ैसले में कहा है कि 'विरोध प्रदर्शन करने और असहमति जताने का अधिकार कुछ कर्तव्यों के साथ है और यह कहीं भी व कभी भी नहीं हो सकता है।'
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सर्वोच्च न्यायालय ने एक अहम फ़ैसले में कहा है कि प्रदर्शनकारी किसी सार्वजनिक स्थल को अनिश्चित काल के लिए घेर कर नहीं रख सकते। अदालत ने राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए के ख़िलाफ लगभग 3 महीने तक चले विरोध प्रदर्शन पर यह टिप्पणी की है।
शाहीन बाग की दादी के नाम से मशहूर बिलकिस को अमेरिकी टाइम पत्रिका ने 100 सबसे ज्यादा प्रभावशाली व्यक्तियों में माना है। लेकिन इसके साथ ही टाइम ने नरेंद्र मोदी को भी उस सूची में शामिल किया है।
बीजेपी ने शाहीन बाग़ पर प्रदर्शन करने वाले कुछ लोगों को पार्टी में शामिल किया है तो आम आदमी पार्टी ने शाहीन बाग़ के प्रदर्शनों को ही बीजेपी का चुनावी हथकंडा बता दिया है। सवाल उठता है कि दोनों पार्टियों की इस सियासत के मक़सद क्या हैं? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट- Satya Hindi
आम आदमी पार्टी ('आप') के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने सोमवार को यह कह कर सबको चौंका दिया कि बीजेपी ने इस आन्दोलन की 'पटकथा' लिखी थी और वही इसकी 'रणनीतिकार' भी थी।
कोरोना वायरस को लेकर दिल्ली में लॉकडाउन के बीच ही अब नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ तीन महीने से भी ज़्यादा समय से शाहीन बाग़ में प्रदर्शन कर रहे लोगों को मंगलवार सुबह हटा दिया गया।