पश्चिम बंगाल में जीत दर्ज करने के बाद टीएमसी की नेता ममता बनर्जी दिल्ली दौरे पर आई थीं। जीत के बाद यह उनका पहला दिल्ली दौरा था। इस कड़ी में उल्लेखनीय होगा कि दिल्ली आने से पूर्व ही टीएमसी ने उन्हें संसदीय दल का नेता चुन लिया था। संभव है कि इसके पीछे टीएमसी की सोची-समझी रणनीति रही हो।
विपक्षी एकजुटता का राग- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- विचार
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- 31 Jul, 2021

पश्चिम बंगाल में जीत दर्ज करने के बाद टीएमसी की नेता ममता बनर्जी दिल्ली दौरे पर आई थीं। जीत के बाद यह उनका पहला दिल्ली दौरा था।
इसके आसार इसलिए भी अधिक नजर आ रहे हैं क्योंकि ममता बनर्जी ने विपक्षी एकजुटता के सुसुप्त राग को फिर से छेड़ दिया है। हालांकि रोचक यह है कि वे न विधायक हैं और न ही सांसद।
तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट
ममता को टीएमसी द्वारा संसदीय दल का नेता बनाने की कवायद को तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट की स्थिति से जोड़ कर देखा गया है। क्योंकि दिल्ली में ममता ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से मुलाकात की। सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद ममता का कहना था कि बीजेपी को हराने के लिए सबको एकजुट होना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि संसद सत्र के बाद हम सभी दलों के साथ मिलकर चर्चा करेंगे।
लेखक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फ़ाउंडेशन में सीनियर रिसर्च फेलो तथा ब्लूम्सबरी से प्रकाशित गृह मंत्री अमित शाह की राजनीतिक जीवनी ‘अमित शाह एंड द मार्च ऑफ़ बीजेपी’ के लेखक हैं।