मनुष्य की सबसे पुरानी गतिविधियों में शरीक जासूसी, एक ग्रीक पौराणिक चरित्र पेगासस के चलते हमारे विमर्श के केंद्र में आ गयी है। किसी ने नहीं सोचा था कि एक बार बोतल से बाहर आने के बाद जिन्न किन-किन के कंधों पर बैठेगा। यह तो पाखंड होगा कि कोई जासूसी की ज़रूरत या उसकी व्यापकता को सिरे से ही नकार दे लेकिन इस बार की ढिठाई कुछ इस तरह की थी कि अपने भी सकपकाये हुये हैं– न उगलते बन रहा न निगलते।
पेगासस से लोकतंत्र को ख़तरा
- विचार
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- 29 Jul, 2021

यह याद रहे कि अभी भी लोकतंत्र भारतीय समाज में बहुत पवित्र मूल्य नहीं बन पाया है, इसलिये सरकारों की स्वाभाविक इच्छा हो सकती है कि वे अपने विरोधियों की जासूसी कराएँ। ऐसे में पेगासस जैसे साफ़्टवेयर का निरंकुश प्रयोग सारी संस्थाओं, जिनमें स्वतंत्र न्यायपालिका या निर्भीक पत्रकारिता भी शरीक हैं, के लिये ख़तरा है।
हमारी आज की दुनिया में जासूसी के दो तरीक़े सर्वाधिक लोकप्रिय हैं, पहले को ‘ह्यूम इंट’ या इंसानों के ज़रिये जासूसी और दूसरा ‘इलेक्ट इंट’ या संवाद को प्रेषित करने या प्राप्त करने के उपकरणों में सेंध लगाकर मतलब की सूचनायें हासिल करना है। यदि सरलीकृत भाषा में कहना हो तो पेगासस दूसरी श्रेणी में आयेगा पर यह इतना आसान भी नहीं है। इसका सबसे बड़ा कारण उन लोगों का चयन है जिन्हें जासूसी के लिए चुना गया था।