जब हर तरफ़ राष्ट्रवाद का शोर है, राष्ट्रगान गाने पर ज़ोर है, तब रवींद्रनाथ टैगोर को याद करने का एक ख़ास मतलब है। टैगोर संभवतः दुनिया के अकेले कवि हैं जिनकी रचनाओं को दो-दो देशों ने अपने राष्ट्रगान की तरह अपनाया। भारत के अलावा बांग्लादेश का राष्ट्रगान भी उनकी ही रचना है। यही नहीं, श्रीलंका का राष्ट्रगान भी जिस आनंद समरकून ने लिखा, वे टैगोर के शिष्य थे- उन्होंने विश्व भारती से पढ़ाई की थी।