संविधान के अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने के लिए संघ परिवार की तरफ़ से पहले भी आवाज़ें उठी हैं और इन दिनों फिर उठ रही है। पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले दिनों इसे समाप्त करने की बात संसद में कही तो गत सप्ताह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने भी उम्मीद जताई कि मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी इस दफ़ा इसे हटाने का अपना वादा अवश्य पूरा कर पाएगी।
अनुच्छेद 370 : शेर जिसके दाँत और नाखून उखाड़ लिए गए हैं
- विचार
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- 17 Aug, 2019

अनुच्छेद 370 पर विशेष : भारतीय संसद पहले जहाँ जम्मू-कश्मीर में 38 विषयों पर क़ानून बना सकती थी वहीं अब केंद्र के अधिकार वाले 97 विषयों में से 94 विषयों पर क़ानून बना सकती है। भारतीय संविधान के 395 अनुच्छेदों में से 260 आज जम्मू-कश्मीर पर लागू होते हैं। तो क्या अनुच्छेद 370 एक सर्कसिया शेर की तरह नहीं है और इस शेर को मारने के लिए काग़ज़ी तलवारें नहीं भाँजी जा रही हैं? अनुच्छेद 370 पर इस सीरीज़ की पाँचवीं कड़ी में पाएँ इन्हीं सवालों के जवाब।
हालाँकि कई लोग इससे सहमत नहीं हैं। सहमत इसलिए नहीं कि उन्हें लगता है कि संविधान इसकी इजाज़त नहीं देता। दूसरे, यदि केंद्र सरकार ऐसा करना चाहे तो भी सरकार के पास संसद में उतना बहुमत नहीं है। लेकिन बीजेपी ऐसा कर सकती है या नहीं? अगर हाँ तो कैसे? अगर नहीं तो उसके रास्ते में कौन-कौन-से काँटे हैं? इन सबके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे। उससे पहले हमारे लिए यह जानना उचित होगा कि बीजेपी के नेता और मंत्री ‘नेहरू सरकार द्वारा पैदा किए गए जिस भयानक जानवर’ के विनाश के लिए दफ़्ती की तलवारें भाँज रहे हैं, उस जानवर में कोई जान बची भी है क्या! और अगर बची भी है तो कहीं ऐसा तो नहीं कि 69 साल का यह बूढ़ा जानवर चिड़ियाघर या सर्कस का एक शेर बनकर रह गया है।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश