एक बार फिर सावरकर को भारत रत्न देने की बात उठी है और वह भी चुनावी मौसम में। इस बार यह बात भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में छापकर चर्चा में लायी गयी है। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न पुरस्कार देने की सिफ़ारिश राष्ट्रपति से की थी लेकिन वह स्वीकार नहीं हुई थी। तो अब क्या भारत रत्न पुरस्कार की बात एक नए सिरे से करके कोई राजनीतिक समीकरण तो नहीं साधने के प्रयास किये जा रहे हैं?

एक बार फिर सावरकर को भारत रत्न देने की बात उठी है और वह भी चुनावी मौसम में। इस बार यह बात भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में छापकर चर्चा में लायी गयी है।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी 24 अप्रैल को ठाणे में एक कार्यक्रम में कहा था, 'सावरकर के लिए भारत रत्न की माँग में हम सब साथ हैं और विपक्ष के कुछ नेता भी सावरकर के लिए सर्वोच्च सम्मान चाहते हैं। अब हमें इसे सच बनाने के लिए काम करना है।’ उन्होंने माँग की कि कालापानी की सज़ा के दौरान सावरकर को अंडमान निकोबार स्थित सेल्युलर जेल की जिस कोठरी में रखा गया था, उसकी एक प्रतिकृति मुंबई में बननी चाहिए। उन्होंने कहा, युवाओं और नागरिकों को हिन्दू राष्ट्र और स्वतंत्रता संग्राम में सावरकर के योगदान की जानकारी दी जानी चाहिए। तो क्या अब इस देश में महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता मानने और उनके विचारों का दौर ख़त्म हो गया है?