इन दिनों मुसीबतों के कई छोटे-मोटे बादल भारत पर एक साथ मंडरा रहे हैं। कोरोना, चीन और तालाबंदी की मुसीबतों के साथ-साथ अब लाखों प्रवासी भारतीयों की वापसी के आसार भी दिखाई पड़ रहे हैं। इस समय खाड़ी के देशों में 80 लाख भारतीय काम कर रहे हैं। कोरोना में फैली बेरोज़गारी से पीड़ित सैकड़ों भारतीय इन देशों से वापस भारत लौट रहे हैं। यह उनकी मजबूरी है लेकिन बड़ी चिंता का विषय यह है कि इन देशों के शासकों पर दबाव पड़ रहा है कि वे विदेशी कार्मिकों को भगाएँ ताकि स्थानीय लोगों के रोज़गार में बढ़ोतरी हो सके।
कुवैत जैसे फ़ैसले दूसरे खाड़ी देश लें तो 40-50 लाख भारतीयों का क्या होगा?
- विचार
- |
- |
- 13 Jul, 2020

कुवैती प्रधानमंत्री शेख अल-सबाह का कहना है कि कुवैत में विदेशी 30 प्रतिशत रहें और 70 प्रतिशत कुवैती! यह आदर्श स्थिति होगी। यदि इसी सोच के आधार पर कुवैती संसद ने क़ानून बना दिया तो 7-8 लाख भारतीयों को अपनी नौकरियाँ छोड़कर भारत आना पड़ेगा। ये भारतीय अभी अकेले कुवैत से लगभग 5 बिलियन डाॅलर हर साल भारत भिजवा देते हैं।