जन्म से कश्मीरी पंडित प्रो. निताशा कौल के लिए ये वाक़ई ‘नया और अविश्वनीय’ भारत है। लंदन के ‘वेस्टमिंस्टर विश्वविद्याय में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेमोक्रेसी’ की प्रमुख प्रो. निताशा कौल 23 फ़रवरी को बेंगलुरु के हवाई अड्डे पर उतरी थीं। उन्हें कर्नाटक सरकार ने ‘भारत में संविधान और एकता’ सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन ‘दिल्ली के आदेश’ का हवाला देते हुए आव्रजन अधिकारियों ने उन्हें हवाई अड्डे से निकलने नहीं दिया। वे 24 घंटे तक ‘होल्डिंग सेल’ में रखी गयीं जहाँ वे खाना-पानी और कंबल के लिए भी तरस गयीं। आव्रजन अधिकारियों ने उन पर आरएसएस विरोधी होने को लेकर ताने कसे और फिर बिना कारण बताये वापस लंदन भेज दिया गया।
चुनावी जुमला भर है बीजेपी का चार सौ पार का नारा!
- विचार
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- 27 Feb, 2024

प्रधानमंत्री मोदी आगामी लोकसभा चुनाव में एनडीए के 400 सीटों से ज़्यादा जीतने का दावा किस आधार पर कर रहे हैं? क्या उनका कोई आधार है?
प्रो. कौल पीएम मोदी की कश्मीर नीति की आलोचक रही हैं। खासतौर पर अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने के लिए मोदी सरकार ने जो कार्यशैली अपनायी, उसके विरोध में उन्होंने कुछ लेख लिखे थे। लेकिन उन्हें लगता था कि भारत और चीन में फ़र्क़ है। भारत का लोकतंत्र आलोचना की इजाज़त देता है। अपनी इस धारणा पर अब वे दोबारा विचार कर रही हैं।